Boosts Self-confidence: Lord Hanuman symbolizes power and bravery, and worshipping him can Enhance self-confidence and fortitude in experiencing troubles.
व्याख्या – श्री रामचन्द्र जी ने हनुमान जी के प्रति अपनी प्रियता की तुलना भरत के प्रति अपनी प्रीति से करके हनुमान जी को विशेष रूप से महिमा–मण्डित किया है। भरत के समान राम का प्रिय कोई नहीं है, क्योंकि समस्त जगतद्वारा आराधित श्री राम स्वयं भरत का जप करते हैं
Protector and saviour of devotees of Shri Ram and himself: The doorkeeper and protector from the door to Rama's court docket, and protector and saviour of devotees.
व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।
पिंक सिटी जयपुर के प्रमुख प्रसिद्ध मंदिर
Acknowledging this, Tulsidas changed his technique. He started the hymn by praising Lord Rama and asking for his blessings, even though still honoring Hanuman in the rest of the verses. In this manner, he respected Hanuman’s choice for Rama’s praise and designed a hymn that matched Hanuman’s humble mother nature.[33]
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
You may as well study The trick wellness and wealth great things about looking at, chanting and reciting it day-to-day if carried out with devotion and love.
NāsaiNāsaiEnd / destroy / cured rogaRogaDisease haraiHaraiEnd / close / eliminated sabaSabaAll pīrāPīrāPains / ailments / afflictions / suffering
tina keTina keWhose / his kājaKājaWork / job sakala SakalaAll tumaTumaYou sājāSājāCarried / do Indicating: Lord Rama is the king of all ascetics and he who will take refuge to him, you may take care of/take care of all their tasks/operates.
व्याख्या – उपमा के द्वारा किसी वस्तु का आंशिक ज्ञान हो सकता है, पूर्ण ज्ञान नहीं। कवि–कोविद उपमा का ही आश्रय लिया करते हैं।
सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।
व्याख्या – किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये सर्वप्रथम उसके गुणों का वर्णन करना चाहिये। अतः यहाँ हनुमान more info जी के गुणों का वर्णन है। श्री हनुमन्तलाल जी त्याग, दया, विद्या, दान तथा युद्ध – इन पाँच प्रकार के वीरतापूर्ण कार्यों में विशिष्ट स्थान रखते हैं, इस कारण ये महावीर हैं। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय होने के कारण आप विक्रम और बजरंगी हैं। प्राणिमात्र के परम हितैषी होने के कारण उन्हें विपत्ति से बचाने के लिये उनकी कुमति को दूर करते हैं तथा जो सुमति हैं, उनके आप सहायक हैं।
भावार्थ – आप अपने स्वामी श्री रामचन्द्र जी की मुद्रिका [अँगूठी] को मुख में रखकर [सौ योजन विस्तृत] महासमुद्र को लाँघ गये थे। [आपकी अपार महिमा को देखते हुए] इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।